हल्दी के चमत्कारी रहस्य
आज के आधुनिक युग में हल्दी अपने विशेष गुणों के कारण चिकित्सा औषधि आधुनिक जगत में अपना एक विशेष स्थान रखती है चाहे वह बाह्य रोग हो या आतंरिक। हल्दी का उपयोग वैद्य की सलाह पर यथास्थान प्रयोग करने के निश्चित रूप से लाभ मिलता है। यहां तक की सर्दी, जुखाम , हरारत, थकान या हल्का बुखार , खांसी , बलगम,सम्बन्धी तथा पेट और गले के अंदरुनी समस्त रोगो का उपचार भी हल्दी बड़ी आसानीसे करती है।
हल्दी के कुछ घरेलु उपाय
मसूढ़े की सूजन -
मसूढ़े की सूजन व् जलन होने पर हल्दी , नमक व् सरसो का तैल समभाग में लेकर फिर उसको मंजन की तरह मसूढ़ों पर हल्के हल्के मलना चाहिए। लार गिराते जावे, दस मिनट बाद ठण्डे पानी से कुल्ले क्र लेने चाहिए। दो-तीन दिन लगातार प्रयोग करने से लाभ होगा।
सूखा रोग में ( Rickets ) -
हल्दी को चुने के पानी में आठ दिन तक भिगोए रखिये फिर निकालकर पुनः ताजे चुने के पानी में घुटाई करके १२५ मि.ग्रा. मात्रावत की गोलियां बना लेनी चाहिए। ये गोली बच्चे को दिन में तीन बार खिलावे। इससे हड़्डी मजबूत तथा सूखा रोग नष्ट होता है।
इसी के साथ एक कोरा पान लेकर उस पर समान भाग चुना व कत्था दोनों का लेपन करे। बिस मकोय के पत्ते लेकर उसमे चुना व कत्था लगा हुआ पान दोनों को खूब बारीक मर्दन करके बनी लुगदी को बच्चे के दोनों स्कन्ध के बीच भाग में मर्दन करना चाहिए। बाद में शरद ऋतु में गर्म पानी से तथा ग्रीष्म ऋतु में ठण्डे पानी से धोना चाहिए। तीन दिन तक लगातार उपर्युक्त प्रयोग करने से सूखा रोग नष्ट होता है।
निमोनियां में -
हल्दी का चूर्ण ३ ग्राम, फिटकरी सफ़ेद चार ग्राम इन दोनों को गोमूत्र में भिगो देना चाहिए। तत्पश्चात एक मिट्टी का सिकोरा लेकर उसको अग्नि में खूब गर्म करे , पश्चात एक चौड़े मुंह की कटोरी में गर्म किये हुए सिकोरे को रख देना चाहिए। उसके बाद उस सिकोरे में उक्त तीनो मिश्रण डालने उसमे से कुछ द्रव्य उबल कर सिकोरे से बाहर कटोरी में आ जावेगा। उस बाहर आये हुए द्रव्य छानकर दिन में तीन बार बच्चे को देने से निमोनिया व् पसली रोग नष्ट होते है।
पेशीशुल-
कभी कभी सर्दी लगकर पसलियों में अचानक पेशीशूल हो जाती है, ऐसे में हरिद्रा ( हल्दी ) १ ग्राम, फिटकरी पांच सौ मिलीग्राम तथा मिश्री ३७५ मिलीग्राम लेकर उसको कूट, कपड़छान करके सुबह-शाम शहद के साथ प्रयोग करने से पेशीशूल शान्त होती है।
नेत्र रोगो में -
हल्दी को बारीक पीसकर बाद में घी में डाल कर भून लेनी चाहिए। इस भुनी हुई हल्दी के चूर्ण को रुई के फोये से नेत्र - पलको पर लेप करने से नेत्रों की सूजन, नेत्रों की लाली, नेत्रों से पानी गिरना आदि रोग दूर होते है।
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